Thursday 28 February 2019

Winner of National level C V Raman Olympiad are felicitated

Aryabhatt Science

राष्ट्र स्तरीय सी. वी. रमण साइंस ओलिंपियाड के विजयी प्रतिभागी हुए पुरस्कृत

Winner of National level C V Raman Olympiad

देवघर (-------------------------------------) : स्थानीय साइंस एंड मैथमेटिक्स डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन के बैनर तले पिछले दिन राष्ट्र स्तरीय सी. वी. रमन साइंस ओलिंपियाड का आयोजन झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के विभिन्न विद्यालयों में हुआ था । आज बिलासी स्थित संत कोलम्बस स्कूल परिसर में झारखण्ड व बिहार के विजयी प्रतिभागियों को साइंस आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जे.सी,.राज, राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव, साइंस फॉर सोसाइटी, देवघर के अध्यक्ष प्रो. रामनन्दन सिंह, पूर्व सचिव कुलदीप महतो, जाने माने पत्रकार मिश्रा, देवघर जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सचिव प्रेम कुमार, संत कोलम्बस स्कूल के प्राचार्य गौरव शंकर, बड्स पैराडाइस स्कूल , चकाई के निदेशक समीर कुमार दूबे, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, देवघर के प्रबंधक कल्याणी चौधरी, वेकसो इंडिया के कोषाध्यक्ष प्रभाकर कापरी व अन्य के करकमलों से पुरस्कृत किया गया । ज्ञात हो कि आज के पुरस्कार वितरण समारोह में चकाई से बड्स पैराडाइस स्कूल, पोड़ैयाहाट से यूनिक कैरियर पब्लिक स्कूल, देवघर से गीता देवी डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल, संत कोलम्बस स्कूल, संत फ्रांसिस स्कूल, सुप्रभा शिक्षा स्थली, संत माइकल एंग्लो विद्यालय, भारती विद्यापीठ, संत ज़ेवियर हाई स्कूल, माउंट लिटेरा जी स्कूल व अन्य स्कूलों के विद्यार्थी मौजूद थे । मौके पर डॉ. राज ने कहा- रमण प्रभाव फोटोन कणों के लचीले वितरण के बारे में है। इसकी खोज प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक श्री सी वी रमन ने की थी। रमन प्रभाव के अनुसार, जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार चन्द्रशेखर वेंकटरमन को उनके इस खोज के लिए प्रदान किया गया । डॉ . देव ने कहा - रमन ने सूर्य के प्रकाश को बैंगनी फिल्टर से गुजर कर प्राप्त बैंगनी प्रकाश किरण पुंज को द्रव से गुजारा। निर्गत प्रकाश पुंज मुख्यतः तो बैंगनी रंग का ही था, परन्तु इसे हरे फिल्टर से गुजारने पर इसमें बहुत कम परिमाण में हरी किरणों का अस्तित्व भी देखने में आया। रमन प्रभाव रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव वैज्ञानिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण खोज है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान के गतिविधियों कों बढ़ावा देने वाले कार्यकमो का आयोजन किया जाता है।

मौके पर सेडो साइंस क्लब के सचिव देवेन्द्र चरण द्वारी को सम्मानित किया गया । संजय मिश्रा ने कहा- रमन प्रभाव एक अद्भुत प्रभाव है, इसकी खोज के एक दशक बाद ही 2000 रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना निश्चित की गई थी। इसके पश्चात् ही क्रिस्टल की आंतरिक रचना का भी पता लगाया गया। प्रो. रामनन्दन ने कहा - रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से निकलता है। गौरव शंकर ने कहा - फोटोन की ऊर्जा या प्रकाश की प्रकृति में होने वाले अतिसूक्ष्म परिवर्तनों से माध्यम की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाया जा सकता है। पूरे कार्यक्रम में संत कोलम्बस की शिक्षिका महुआ चटर्जी, नूतन कुमारी, प्रीति पराशर व शिक्षक गोविंदा कुमार की अहम भूमिका रही ।


YOU CAN BE ISRO YOUNG SCIENTIST - 3 STUDENTS FROM EACH STATE

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ISRO YOUNG SCIENTIST PROGRAM (SOURCE ISRO)

Downlod ISRO Young Scientist Program form

Full Article in English

क्या है इसरो  यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम ?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भारत के लिए एक एक ऐसा संस्था है जिसे हम गर्व से देखते है| इसरो ने सरकार की दृष्टि "जय विज्ञान, जय अन्सुधान" के अनुरूप  कार्य करते हुए  इस वर्ष से स्कूली बच्चों के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका नाम है "युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम" (युविका)। यह इसरो का स्टूडेंट आउटरीच प्रोग्राम है|इसरो का मानना है की युवा  हमारे राष्ट्र के भविष्य के निर्माण खंड हैं। इस कार्यक्रम से युवाओं में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों अदि के बारे के रूचि जगाकर  अंतरिक्ष  गतिविधियों के उभरते क्षेत्रों में देश को बढ़ावा मिलेगा । इस प्रकार यह कार्यक्रम उन युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से है जो  इससे उन्हें स्कूल में पढ़ी जाने वाली चीजों और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में इसके वास्तविक अनुप्रयोग की सराहना करने में मदद मिलेगी।


 कब और कितने समय का होगा यह कार्यक्रम ?


 समर  रिसर्च प्रोग्राम की तरह ही कार्यक्रम गर्मियों की छुट्टियों के दौरान लगभग दो सप्ताह की अवधि का होगा|इन दो सप्ताह में  छात्रों को काफी कुछ सिखने को मिलेगा जो उन्हें वैज्ञानिक ढंग से सोचने पर मजबूर कर देगा| हालाँकि अभी इस कार्यक्रम की तिथि तय होनी बाकि है इसलिए हम आपको जानकी दे देंगे ,इसके लिए आप ऊपर दिए विकल्प से सब्सक्राइब कर सकते है|


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क्या क्या होगा कार्यक्रम में ?

यह कार्यक्रम चूँकि हैंडस एक्टिविटी पर आधारित है और इसमें छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञानं से सम्बंधित बहुत सारी चीजें बनाने सिखाया जायेगा,खासतौर पर सैटलाइट|इसरो का कहना है कि बच्चों द्वारा अच्छे बने  सैटलाइट को अंतरिक्ष में भी छोड़ने का काम किया जायेगा|  इसके अलवावा कार्यक्रम के मुख्य अंग  प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा अनुभव साझा करना,आमंत्रित वार्ता,विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के लिए विशेष सत्र,प्रयोगशाला का दौरा,  व्यावहारिक और प्रतिक्रिया सत्र शामिल होंगे।


कौन है इसके लिए योग्यताधरी?

इसरो के अनुसार इसरो यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम के लिए वे छात्र योग्य है जो लोग 8 वीं कक्षा पूरी कर चुके हैं और वर्तमान में 9 वीं कक्षा में पढ़ रहे है |
हर साल इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रत्येक राज्य / केंद्र शासित प्रदेश से 3 छात्रों का चयन करना प्रस्तावित है। इसमें सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र सम्मिलित है।


क्या है चयन प्रक्रिया ?

इसरो ने इस प्रोग्राम में चयन के लिए विशेष  मापदंड बनाया है जिसमे चयन शैक्षणिक प्रदर्शन और पाठ्येतर गतिविधियां सम्मिलित है|इसरो ने समन्धित चयन मापदंड को संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के मुख्य सचिवों को भेजा है  ताकि वे अपने प्रत्येक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश से तीन छात्रों के चयन की व्यवस्था कर सकें और सूची को इसरो को बता सकें। ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित छात्रों को इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले छात्रों को चयनित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के  चयन मानदंडों में विशेष वेटेज दिया गया है।छात्रों  के चयन के लिए संभव है की राज्य अथॉरिटी जिला अथॉरिटी से नाम योग्य छात्र के नाम और उनके चयन का कारण अनुशंसित करने को कहा जाये| इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए इस वेबसाइट या इसरो या राज्य अथॉरिटी   से जुड़े रह सकते है ताकि सम्बंधित खबर मिल सके|


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रहने भोजन आदि की व्यवस्था कैसे की जाएगी?

छात्र को  प्रशिक्षण केंद्र में जाने और आने का किराया ( एसी II ) इसरो द्वारा वहां किया जायेगा |  छात्र के अभिभावक / माता-पिता सम्बंधित छात्र प्रशिक्षण केंद्र पर छोड़ने  और लेने साथ जा सकते है और इसके  लिए उनमे से किन्ही  एक  को द्वितीय एसी किराया भी प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा पूरे पाठ्यक्रम के दौरान पाठ्यक्रम सामग्री, आवास और बोर्डिंग आदि, इसरो द्वारा वहन किया जाएगा। चयनित छात्रों को इसरो गेस्ट हाउस / हॉस्टल में रहने की व्यवस्था किया जाएगा। 




कैसी गतिविधिया दिला सकती है छात्रों  को यंग साइंटिस्ट के लिए चयन योग्य ?

चूँकि इसरो ने चयन मापदंड को सार्वजनिक नहीं किया फिर भी इसमें स्पष्ट लिखा है की छात्रों  का चयन शैक्षिक और पाठ्येतर गतिविधियां के आधार पर की जाएगी | इसलिए चयनके लिए आठवीं के मार्क्स काफी अहम् रोले निभाएंगे |और पाठ्येतर गतिविधि के रूप में विज्ञानं प्रदर्शनी, विज्ञानं संगोष्ठी, विज्ञानं पेंटिंग ,विज्ञानं लेखन ,विज्ञानं फिल्म अदि से सम्बद्ध छात्रों को विशेष मन जा सकता है| अंतरिक्ष के क्षत्र में अच्छा काम इसके लिए और योग्य बना सकता है|विज्ञानं क्लब ,एको क्लब अदि से सम्बद्ध छात्रों को भी चयन की सम्भवना है|






और अधिक जानकारी के लिए निचे कमेंट कर  सकते है- 

Science Rally organised on National Science Day 2018

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर धूमधाम से आयोजित हुई विज्ञान रैली




 राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर आर्यभट्ट विज्ञान क्लब, रंका द्वारा विज्ञान दिवस मनाया गया | इस अवसर पर सर्वप्रथम उन्हें भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर सी वी रमन (चंद्रशेखर वेंकट रमन )के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया गया|और उन्हें उनके विज्ञान के क्षेत्र में योगदान को याद दिलाया गया |इस अवसर पर क्लब के सामान्य समन्वयक आलोक कुमार चौधरी ने उन्हें विज्ञान दिवस की महत्ता बताई |इस अवसर पर एक विज्ञान रैली का भी आयोजन किया गया ,जिसमें कन्या मध्य विद्यालय, रंका के छात्र- छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया |इसमें मुख्यतः सेफ ड्राइव, सेव लाइफ;सेव वाटर ,सेव लाइफ ; बहुत सारे नारों के द्वारा लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई| मौके पर क्लब के अध्यक्ष अजीत कुमार पांडे ने रैली को शुभकामनाओं के साथ रवाना किया| इस कार्यक्रम में क्लब के कोषाध्यक्ष मोहित चौधरी ,अविनाश कुमार ,हेमंत कुमार ,अकाश कुमार चौधरी आदि ने अपना योगदान दिया|


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Science Day Celebrated in SPARSH Govt. Blind Inter College ,Mohan Road Lucknow

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स्पर्श राजकीय दृष्टि बाधित बालिका इंटर कॉलेज,
मोहान रोड (लखनऊ) में वीज्ञान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित













           सादर अवगत कराना है कि कॉलेज प्रशासन के अध्यक्षता एवं एस.आर.एल. ब्रेल विपनेट विज्ञान क्लब (दृष्टि बाधित दिव्यांगजन हेतु भारत का पहला विपनेट विज्ञान क्लब - Reg.No. VP-UP0125, विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) के सौजन्य से दृष्टि बाधित दिव्यांग छात्राओं के मध्य विज्ञान दिवस (28 फरवरी 2019 को up बोर्ड परीक्षा के कारण) के पूर्व संध्या पर आज हमारे कॉलेज में छात्राओं को विज्ञान अध्ययन एवं दिव्यांगजन के जीवन में विज्ञान का महत्त्व विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
            कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में सुश्री अनुपमा मौर्य उपनिदेशक दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग लखनऊ मंडल लखनऊ, विशिष्ट अतिथि एवं वक्ता के रूप में श्री आशीष कुमार गुप्ता, सहायक प्रोफेसर विशेष शिक्षा दृष्टि बाधिता विभाग, डा. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्व विद्यालय, लखनऊ  एवं कुमारी शैलजा चौधरी नवोदित समाज सेविका एवं अध्यक्ष अक्षय फाउंडेशन उपस्थित रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं सर सी.वी. रमन के चित्र पर पुष्प अर्पित, स्वागत गीत से प्रारंभ हुआ।









            अपने उद्बोधन में श्री ए.के. गुप्ता ने दिव्यांग छात्राओं को विज्ञान के महत्ता एवं प्रतियोगिता परीक्षाओं में विज्ञान प्रश्नों का जिक्र कर उन्हें विज्ञान विषय को अच्छे से पढ़ने, समझने हेतु प्रेरित किया। सुश्री अनुपमा मौर्य ने दिव्यांग जन के जीवन में विज्ञान के कारण बढती सुख सुविधाओं, विज्ञान के सार्वभौमिकता के विषय में सरल शब्दों में बता कर उन्हें विज्ञान के प्रति जागरुक किया। कुमारी शैलजा चौधरी ने मानव स्वास्थ, महिलाओं में महावारी, स्वच्छता पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत कर जागरूकता फैलाया व नि:शुल्क सेनेटरी पैड वितरित किया।  स्विटी वर्मा, रोहित राज पोल ने  छात्राओं को आत्मरक्षा के गुण व महत्त्व पर प्रकाश डाला।
           आलोक कुमार सिंह, प्रवक्ता / कार्यक्रम समन्वयक (विज्ञान क्लब संस्थापक) ने बतलाया की  वृहद रूप में हमारे कालेज में पहली बार विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है । जिसका उद्देश्य दृष्टि बाधित दिव्यांग जन में भी विज्ञान के प्रति जिज्ञासा, अध्ययन की ललक पैदा का उन्हें विज्ञान से रुबरू कराया जाए। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस थीम "जनमानस के लिए विज्ञान एवं विज्ञान के लिए जनमानस" को तभी चरितार्थ किया जा जा सकता है जब जन-जन को विज्ञान से जोड, उनके अंदर वैज्ञानिक सोच, दृष्टिकोण को बढाने पर बल दिया जाये। क्लब के माध्यम से हमारा प्रयास रहता है कि सरल विधि से विज्ञान के ज्ञान को दिव्यांगजन तक रोचक रूप में पहुंचने का प्रयास व प्रयोग रहता है।
             इस  अवसर पर विद्यार्थी विज्ञान मंथन राष्ट्रीय ऑनलाइन परीक्षा 2018-19 में प्रदेश के इस इकलौते कालेज से सफल 9 दिव्यांग छात्राओं को मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के करकमलों द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किया गया। प्रमाण पत्र पाकर छात्राओं के चेहरे खिल उठें।  समापन के अवसर पर कॉलेज प्रधानाचार्य एवं कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती संतोष कुमारी गुप्ता ने कॉलेज में पधारे सभी महानुभावों का आभार जताते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि दृष्टि बाधित दिव्यांग छात्राएं भी समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चले इसके लिए विज्ञान शिक्षा का महत्व सर्वोपरी है । इसी महत्त्व के मद्देनजर उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया था व भविष्य मे भी छात्राओं के उपयोगी, ज्ञानवर्धक, रोचक विषयों पर कार्यशाला का आयोजन करेगें।इस अवसर पर कॉलेज स्टॉप प्रवक्ता श्री रामलाल, नरेंद्र त्रिपाठी, श्रीमती दीपा, सहायक अध्यापक श्रीमती मंजरी, श्रीमती स्वयं सिंह, श्रीमती अनुसुइया, पूजा,  प्रदीप गंगवार, श्रीमती वर्षा सिंह, श्रीमती रागिनी, सैय्यदा हाशमी आदि उपस्थित रहें । कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
संलग्नक: कार्यक्रम फोटोज, विद्यार्थी विज्ञान मंथन परीक्षा परिणाम।
                                                                                                                                             भवदीय
                                                                                                               आलोक कुमार सिंह, प्रवक्ता / कार्यक्रम समन्वयक
                                                                                                                                       9415015864

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Comme

National Science Day 2019

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भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तरक्की कर रही है।यह तरक्की आज से नही बल्कि बहुत पहले से ही लगातार हो रही है। शून्य और दशमलव प्रणाली का का अविष्कार इसका अच्छा उदाहरण है ,जिससे पूरी विश्व लाभान्वित हो रही है।


राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और भारत

भारत का राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी को हर वर्ष मनाया जाता है।28 फरवरी के पीछे विशेष कारण भारतीय महान वैज्ञानिक सी वी रमण (चंद्रशेखर वेंकट रमण) का जन्म दिवस है, जिन्हें उनके महान वैज्ञानिक खोज रमण प्रभाव के लिए भारत में सबसे पहले नोबेल सम्मान से सम्मानित किया गया था।उन्हें नोबेल पुरस्कार 1930 में मिला था।भारत में सबसे पहली नेशनल साइंस डे 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था।2019 के लिए विज्ञान दिवस का थीम Science for people and people for Science है।इस दिवस को भारत की उपलब्धि के साथ साथ देश में विज्ञान ,प्रौद्योगिकी, इनोवेशन,आदि को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

और अधिकनकारी के लिए आप नीचे कमेंट कर सकते है।


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