Monday 21 October 2019

What is Vijnana Bharati (Vibha) || Congratulates to all vibha member on establishment day of Vijnana Bharati

Aryabhatt Science
विज्ञान भारती के स्थापना दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई। आइये जानते है विभा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।

विज्ञान भारती :- विज्ञान भारती की शुरुआत स्वदेशी विज्ञान आंदोलन के रुप में IISC बेंगलुरु से हुई।

विज्ञान भारती की स्थापना :-
20-21 अक्तूबर 1991 - स्वदेशी विज्ञान आंदोलन अब समृचे भारत भरबढे इस दृष्टि से समग्र विचार करने के लिए समविचारी शास्त्रज्ञों की एक
अखिल भारतीय चर्चा-बैठक दो दिन तक नागपुर के पासही खापरी में संपत्र
हुयी। अन्यान्य स्थानों से आये हुए कुल ६१ शास्त्रज्ञों ने इसमें भाग लिया।
बंगलोर के प्रो.के.आय. वासू इसके राष्ट्रीय संयोजक थे। मा.श्री. दत्तोपंत ठेंगडी
तथा मा. प्रो. राजेंद्रसिंहजी के
मा.श्री. कु.सी. सुदर्शनजी का समारोप का जाहीर भाषण स्थानीय धनवटे
रंगमंदिर में हुवा।
विषयवार गटशः बैठकें भी हुयी।

विचारगोष्ठी के लिये कुल २५ निबंध आये थे ।
पांच गट इस प्रकार थे :-
(१) कुल मिलाकर भौतिक शास्त्रोंका एक गट बनाया था जिसके प्रमुख थे
गाझियाबाद के डॉ.जगमोहन गर्ग। अन्यान्य विषयें के १५ शास्त्रज्ञों ने
स्वदेशी के संदर्भ में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विषय में अपने अपने
विचार रखें।
(२) प्राण विज्ञान के गट का प्रमुखत्व नागपुर के ही डॉ.भानूजी भांबुरकर ने
किया जिसमें जीवशास्त्र, सूक्ष्मजीवाणुशास्त्र इ. विषयों के ८
शास्त्रज्ञोंने भाग लिया।
(३) स्वास्थ्य-विज्ञान के गट का प्रमुखत्व कलकत्ता के हार्टस्पेशालिस्ट
डॉ.सुजीत धर ने किया जिसमें अॅलोपाथी, होमिओपारथी तथा आयुर्वेद
के १४ विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।
(४) समाज-विज्ञान के गट का प्रमुखत्व हमारे कार्यपालन समिती सदस्य
प्रा.श्री. गो. काशीकर ने किया जिसमें कुल ७ शास्त्रज्ञों ने चर्चा की।
राजनीतिशास्त्र तथा अर्थशास्त्र के विद्वान इसमें मुख्य रुपसे थे।
(५) शिक्षा के माध्यम से स्वदेशी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का प्रसार केसा
हो? इस की चर्चा करनेवाले इस गट के प्रमुख थे डॉ. रा. ह. तुपकरी जिसमें
१० विशेषज्ञों ने भाग लिया।
सत्रावसान के बाद अनौपचारिक वार्तालापके लिये सब लोग एकत्र
आये और कार्यके देशव्यापी विस्तार पर सोचने लगे। हर प्रदेश में कमसे कम
एक कार्यकर्ता ऐसा निकले जो कार्य की दृष्टिट से कुछ समय देकर प्रदेश स्तर
पर कार्य की इकाई (युनिट) बनायें। किसी भी नामसे यह कार्य किया जा सकता
है। एक-देढ सालके पश्चात् फिर सभी प्रमुख एकत्र आकर अखिल भारतीय
संगठन के विषय में विचार करें जिसका नाम सर्वसंमति से 'विज्ञान भारतीं
सूचित किया गया| कर्नाटक, तामिळनाडू तथा केरळ में स्वदेशी सायन्स
मुव्हमेंट इस नामसे पहले से ही कार्य शुरु हो गया था।

संगठन के उद्दिष्ट:-

समय समय पर चर्चा विचार करते हुए संस्था ने कुछ उद्दिष्ट
(Objcctive) अपने सामने रखे है, जो इस प्रकार है :-
(१) भौतिक शास्त्रों और अध्यात्मिक शास्त्रों का परस्पर सुसंवादी संयोग
वृध्दिंगत करना।
(२) स्वदेशी भाव जागृत करनेवाला सच्चा विज्ञान-आंदोलन खड़ा करना
जिसके द्वारा राष्ट्र का विकास या पुनर्निरमाण हो सके।
(३) आयुर्वेद, सिध्दआयुर्वेद, वास्तुविद्या, योग इत्यादि एतद्देशीय
शास्त्रों के विकास के लिये आंदोलन खड़ा करना।
(४) प्राचीन भारत की उपलब्धियों को खोजना तथा आधुनिक विज्ञान के साथ
उसका मेल जोड़ना, जिससे कि भारत को विज्ञान क्या है पता ही नही
था इस ढकोसले का भंडाफोड हो।
(५) भारत की वैज्ञानिक परंपरा को शिक्षाविदों द्वारा विद्यालयीन पुस्तकों मे
समाविष्ट कराना।
(६) जनप्रिय, व्यवसायी तथा अनुसंधान स्तरके कार्यकलापों के लिये और
शिक्षा प्रदान करने के लिये भी भारतीय भाषायें कम योग्य नही है इसको
प्रदर्शित करना।
(७) सभी राष्ट्रीय भाषाओं मे भारतीय वैज्ञानिकों के जीवन तथा कार्य के संबंध
में पुस्तकें प्रकाशित करना।
(८) विज्ञान संबंधी विचारगोष्ठीयों को प्रादेशिक भाषाओं मे संचालित तथा
प्रचारित करना।
(९) सभी राष्ट्रीय भाषाओं के लिये समान लिपी तथा समान शास्त्रीय
परिभाषा विकसित करने की दृष्टिसे कार्य करना।
(१०) औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्रमें, जिसमें बडे बडे उद्योगों का भी समावेश रहे
(hitech areas), स्वदेशी प्रौद्योगिकी के लिये अनुसंधान होने की
दृष्टि से भारत की अनुसंधान तथा विकास संस्थायें (R.Ds)
अनु्राणित करना।

(११) भारतीय जीवन के सभी पहलूओं में यथायोग्य स्वदेशी नीति तथा आदर्श
विकसित करने के लिये शासन के साथ विचार विनिमय करना।
यह सारे उद्दिष्ट आधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता नही।
क्योंकि योगेश्वर श्रीकृष्ण के 'स्वधमें निधनं श्रेयः' इस उक्तिका भौतिक
रुप है 'स्वदेशीं । आध्यात्मिक क्षेत्र में जो धर्म है, और सामाजिक, सांस्कृतिक
एवं राष्ट्रीय स्तर पर जो स्वधर्म है, भौतिक और आर्थिक (विज्ञान) स्तर पर
वही स्वदेशी है। इन उद्दिष्टों को ध्यान में रखकर काम करनेवाले कार्यकर्ताको
यथासंभव उत्तेजनात्मक सहाय्य करना संस्था ने कर्तव्य माना है।


*सम्मानित बन्धु,*
 स्वदेशी विज्ञान आंदोलन समूचे देश मे बढ़े इस  दृष्टि से समविचारी वैज्ञानिक मनीषियों एवं शास्त्रज्ञ द्वारा 21 अक्टूबर 1991 को विज्ञान भारती की  स्थापना की गई ।इसलिए प्रत्येक वर्ष इस पावन "विज्ञान स्थापना दिवस " को हम *"समर्पण दिवस"* के रूप में मनाते आए है  ।
उस दिन से आज तक इस विज्ञान आंदोलन में देश भर के अनेको  वैज्ञानिक ,शोधकर्ता चिंतक,बुद्धिजीवी ,शिक्षाविद  आदि लोगो का सतत योगदान इस कार्य को बल प्रदान करते आया है।
देश को  विज्ञान में स्वावलम्बी बनाने ,विज्ञान के क्षेत्र में  देश का आत्मगौरव बढ़ाने ,  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा देश के विकास एवं पुनर्निर्माण हो'  प्राचीन व आधुनिक विज्ञान के मध्य सेतु स्थापित करना ,आदि ऐसे उद्देश्यों के साथ इस विज्ञान आंदोलन के द्वारा समाज को प्रेरित करने के लिए  हम सब की भांति एक विशाल समूह    इस महान कार्य के लिए प्रतिबध्द है ।

आपको सूचित करने में अत्यंत हर्ष हो रहा है  कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रांतीय इकाई द्वारा  *"विज्ञान भारती समर्पण कार्यक्रम"* आयोजित किया जा रहा है। अतः सादर आग्रह है कि उक्त अवसर पर अपने शुभचिंतको सहित इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर ,समर्पण कर इस विज्ञान आंदोलन  को  सदृढ़ बनाने में योगदान करे।
धन्यवाद।

*दिनांक - 22/10/2019*
*समय - सायं 4:30*
*स्थान -*
*राम झरोखे,*
*NBRI सेंट्रल लॉन*
*लखनऊ*

*निवेदक - विज्ञान भारती अवध प्रान्त*
सौजन्य-विभा अवध प्रान्त

Tuesday 15 October 2019

Great tribute to Dr A P J Abdul Kalam : Scientist of people

Aryabhatt Science

Great tribute to Dr A P J Abdul Kalam : Scientist of people



Dr. A P J Abdul Kalam
Dr. A P J Abdul Kalam

Aryabhatt Science Club Ranka Jharkhand (VP-JH0009) tribute to Dr. A P J Abdul Kalam : great scientist of India.
Tribute to our former president, the person who captured the imagination of every Indian Dr. A.P.J. kalam on his 88 birth anniversary. The UN declaration has marked his birth anniversary in the world which will fulfill his last wish to be remembered as a teacher to all the students on 'World Students Day'.APJ Abdul Kalam, the name itself invokes reverence and pride in the heart of every Indian. Born on 15th October 1931 in Rameswaram, the youngest son of a poor ferry owner overcame every hurdle that came in the path that he wanted to pave for himself, and went on to become one of the most loved and respected politicians of modern India. A scientist by profession, Dr Kalam was the 11th President of India from 2002 to 2007. He was also the father of India's military missile program. His aura, charm and never-fading smile made him a favorite among children and his motivational quotes made every Indian admire him. Dr Kalam passed away in Shillong, Meghalaya, while addressing the students of the Indian Institute of Management (IIM) on 27, July, 2015.