भारत में प्रायोगिक तरल गति की अनुसंधान का जनक प्रोफ़ेसर सतीश धवन की जन्म शताब्दी की श्रद्धांजलि
आर्यभट्ट विज्ञान क्लब रंका ने वैज्ञानिकप्रोफ़ेसर सतीश धवन को महान श्रद्धांजलि दी|
25.09.1920 - जन्म शताब्दी
भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर सतीश धवन का जन्म हुआ था
(25.09.1920 - 03.01.2002)
इनका जन्म भारत के श्रीनगर में और शिक्षा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में संपन्न हुई। उन्हें भारतीय वैज्ञानिक समुदाय द्वारा भारत में प्रायोगिक तरल गति की अनुसंधान का जनक और विक्षोभ और परिसीमा परतों के क्षेत्र के प्रख्यात शोधकर्ताओं में से एक माना जाता है
उन्होंने 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक, "विक्रम साराभाई" का स्थान ग्रहण किया।
1971 में विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव भी रहे हैं। उनकी नियुक्ति के बाद के दशक में उन्होंने असाधारण विकास और शानदार उपलब्धियों के दौर से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्देशित किया।
जिस समय वे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अध्यक्ष थे, उस समय भी उन्होंने परिसीमा परत अनुसंधान के लिए पर्याप्त प्रयास समर्पित किया। उनके सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान हर्मन शिलिच्टिंग की मौलिक पुस्तक बाउंड्री लेटर में प्रस्तुत है।
वे बेंगलूर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आई• आई• एस• सी•) के लोकप्रिय प्रोफ़ेसर थे। उन्हें आईआईएससी में भारत के सर्वप्रथम सुपरसोनिक विंड टनल स्थापित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने वियुक्त परिसीमा स्तर प्रवाह, तीन-आयामी परिसीमा परत और ट्राइसोनिक प्रवाहों की पुनर्परतबंदी पर अनुसंधान का भी बीड़ा उठाया।
प्रोफ़ेसर सतीश धवन ने ग्रामीण शिक्षा, सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार पर अग्रगामी प्रयोग किए। उनके प्रयासों से इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) जैसी प्रचालनात्मक प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसने भारत को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राष्ट्रों के संघ में खड़ा कर दिया।
2002 में उनकी मृत्यु के बाद, दक्षिण भारत के चेन्नई की उत्तरी दिशा में लगभग 100 कि.मी. की दूरी पर श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश में स्थित :भारतीय उपग्रह प्रमोचन केंद्र" का "प्रोफ़ेसर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र" के रूप में पुनर्नामकरण किया गया।
क्रेडिट व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी
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