जेनेरिक दवाइयां क्या है??

➡सामान्य दवा या जेनेरिक दवा (generic drug) वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायी और वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक (active ingradient) पर पेटेंट नहीं होता। जैनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होतीं तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाईयाँ। यहाँ तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं। जैनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
➡किसी रोग विशेष की चिकित्सा के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक तत्व/यौगिक विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस तत्व को अलग-अलग कम्पनियाँ अलग-अलग नामों बेचतीं है। जैनरिक दवाईयों का नाम उस औषधि में उपस्थित सक्रिय घटक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है।
➡उदाहरण के लिए, उच्छ्रायी दुष्क्रिया (शिश्न को खड़ा न कर पाना / erectile dysfunction) की चिकित्सा के लिए सिल्डेन्फिल (sildenafil) नाम की जेनेरिक दवा है। यही दवा फिजर (Pfizer) नामक कम्पनी वियाग्रा (Viagra) नाम से बेचती है।
➡किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर जो दवा लिखता है, ठीक उसी दवा के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। कीमत का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। बात सिर्फ आपके जागरूक होने की है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश में लगभग सभी नामी दवा कम्पनियां ब्रांडेड के साथ-साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं भी बनाती हैं लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डॉक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ बताते नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गरीब भी केमिस्ट से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं।
➡गौरतलब है कि किसी एक बीमारी के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक यौगिक को विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस यौगिक को अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं। जेनेरिक दवाइयों का नाम उसमें उपस्थित सक्रिय यौगिक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति निर्धारित करती है। किसी भी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है।
जेनेरिक दवाओं की फायदे
जैनरिक दवाईयां ब्राण्डेड दवाईयों की तुलना में औसतन पाँच गुना सस्ती होती है। जैनरिक दवाईयों की उपलब्धता आम व्यक्ति को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में बहुत बड़ा योगदान प्रदान कर सकती है तथा इससे ब्राण्डेड कम्पनियों का दवा उद्योग में एकाधिकार को चुनौती मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जैनरिक दवाईयों के लिखे जाने पर केवल धनी देशों में चिकित्सा व्यय पर 70 प्रतिशत तक कमी आ जायेगी तथा गरीब देशों के चिकित्सा व्यय में यह कमी और भी ज्यादा होगी।
➡जेनेरिक दवाएं उत्पादक से सीधे रिटेलर तक पहुंचती हैं। इन दवाओं के प्रचार-प्रसार पर कंपनियों को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। एक ही कंपनी की पेटेंट और जेनेरिक दवाओं के मूल्य में काफी अंतर होता है। चूंकि जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है, अत: वे सस्ती होती हैं, जबकि पेटेंट दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं, इसलिए वे महंगी होती हैं।
➡उदाहरण के लिए यदि चिकित्सक ने रक्त कैंसर के किसी रोगी के लिए ‘ग्लाईकेव‘ ब्राण्ड की दवा लिखी है तो महीने भर के कोर्स की कीमत 1,14,400 रूपये होगी, जबकि उसी दवा के दूसरे ब्राण्ड ‘वीनेट‘ की महीने भर के कोर्स की कीमत अपेक्षाकृत काफी कम 11,400 रूपये होगी। सिप्ला इस दवा के समकक्ष जैनरिक दवा ‘इमीटिब‘ 8,000 रूपये में और ग्लेनमार्क केवल 5,720जेनेरिक दवाओं का उपयोग करने के क्या फायदे हैं
➡सबसे बड़ा फायदा कीमत है ब्रांड-नाम वाली दवाओं की लागत से 90 प्रतिशत बचा सकते हैं जेनरिक ब्रांड-नाम वाली दवाओं से औसत 40 से 60 प्रतिशत कम है।
➡ यह एक निश्चित आय पर पुराने वयस्कों जो कई दवाएं लेता है के लिए एक वास्तविक लाभ है अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से पूछें कि यदि आपके जेनेरिक दवाओं का उपयोग संभव है।
➡जब भी संभव हो, जेनेरिक दवाओं का उपयोग करके, आप अपनी दवाओं के दाम कम कर सकते हैं। आपको एक ही ताकत, खुराक और गुणवत्ता भी मिल जाता है।
सबसे बड़ा फायदा कीमत है ब्रांड-नाम वाली दवाओं की लागत से 90 प्रतिशत बचा सकते हैं जेनरिक ब्रांड-नाम वाली दवाओं से औसत 40 से 60 प्रतिशत कम है।
➡ यह एक निश्चित आय पर पुराने वयस्कों जो कई दवाएं लेता है के लिए एक वास्तविक लाभ है अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से पूछें कि यदि आपके जेनेरिक दवाओं का उपयोग संभव है।
➡जब भी संभव हो, जेनेरिक दवाओं का उपयोग करके, आप अपनी दवाओं के दाम कम कर सकते हैं। आपको एक ही ताकत, खुराक और गुणवत्ता भी मिलेगी।
प्रमुख जेनेरिक दवाएं
सीटीजेड,
पाईरेस्टेट-100,
मेरिसुलाइड,
ओमेसेक-20,
ओमिप्राजोल,
लिगनोकेन,
बूपीवेक्सीन,
एसीटिल सालिसाइकिल एसिड डिक्लोफेनेक,
इबूप्रोफेन,
परासीटामोल,
क्लोरोक्वीन,
एमलोडिपिन,
एटीनोलेल,
लोजारटन,
मेटफोरमिन,
प्रोगेस्टीरोन
Megamentin 625 is Generic Medicine of Antibiotic Amoxicillin 500mg + Potassium Caluvnate 125mg
दवाओं के सामान्य नाम और ब्रांड नाम हैं उदाहरण के लिए,प्रिलोसेक। का सामान्य नाम ओपेराज़ोल है।
➡ प्रिलोसेक ने दवा बेचने के लिए विशेष अधिकारों का स्वामित्व किया क्योंकि उन्होंने इसे बनाया और पेटेंट किया था एक बार उनकी पेटेंट समाप्त हो जाने के बाद, अन्य निर्माता प्रिलोसेक बना और बेच सकते हैं उन्हें सिर्फ सामान्य नाम ओपेराज़ोल से करना पड़ता है।
➡ इसके अलावा, यह उत्पाद रंग, आकृति, या चिह्नों में थोड़ा भिन्न हो सकता है सबसे बड़ा अंतर लागत है जेनेरिक दवाएं आम तौर पर कम खर्चीली होती हैं
जेनेरिक दवाओं का निर्माण कौन करता है??
➡जेनेरिक दवाएं अक्सर उन कंपनियों द्वारा निर्मित होती हैं जो ब्रांड नाम वाली दवाएं भी बनाती हैं।
➡एफडीए सभी दवा निर्माताओं और यू.एस. में बिकने वाली सभी दवाओं का विनियमन और निरीक्षण करता है।
➡ वे उन्हें सुधार करने के लिए फिर से भेज देंगे। वे एक ही मानक के लिए जेनेरिक दवाओं की जांच करते हैं।
प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना क्या है??
➡प्रधानमंत्री जन औषधि योजना भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को घोषित एक योजना है। इस योजना में सरकार द्वारा उच्च गुणमवत्ता वाली जैनरिक (Generic) दवाईयों के दाम बाजार मूल्य से कम किए जा रहें है। सरकार द्वारा 'जन औषधि स्टोर' बनाए गए हैं, जहां जेनरिक दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही है।
➡जेनरिक दवाईयां ब्रांडेड या फार्मा की दवाईयों के मुकाबले सस्ती होती है, जबकि प्रभावशाली उनके बराबर ही होती है। प्रधानमंत्री जन औषधि अभियान मूलत: जनता को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया हैं ताकि जनता समझ सके कि ब्रांडेड मेडिसिन की तुलना में जेनेरिक मेडिसिन कम मूल्य पर उपलब्ध हैं साथ ही इसकी क्वालिटी में किसी तरह की कमी नहीं हैं। साथ ही यह जेनेरिक दवायें मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं।
➡इस योजना में आम नागरिकों को बाजार से 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर दवाइयां मुहैया कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार जल्द ही देशभर में 1000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र खोलेगी।

➡सामान्य दवा या जेनेरिक दवा (generic drug) वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायी और वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक (active ingradient) पर पेटेंट नहीं होता। जैनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होतीं तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाईयाँ। यहाँ तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं। जैनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।
➡किसी रोग विशेष की चिकित्सा के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक तत्व/यौगिक विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस तत्व को अलग-अलग कम्पनियाँ अलग-अलग नामों बेचतीं है। जैनरिक दवाईयों का नाम उस औषधि में उपस्थित सक्रिय घटक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है।
➡उदाहरण के लिए, उच्छ्रायी दुष्क्रिया (शिश्न को खड़ा न कर पाना / erectile dysfunction) की चिकित्सा के लिए सिल्डेन्फिल (sildenafil) नाम की जेनेरिक दवा है। यही दवा फिजर (Pfizer) नामक कम्पनी वियाग्रा (Viagra) नाम से बेचती है।
➡किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर जो दवा लिखता है, ठीक उसी दवा के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। कीमत का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। बात सिर्फ आपके जागरूक होने की है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश में लगभग सभी नामी दवा कम्पनियां ब्रांडेड के साथ-साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं भी बनाती हैं लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डॉक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ बताते नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गरीब भी केमिस्ट से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं।
➡गौरतलब है कि किसी एक बीमारी के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक यौगिक को विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस यौगिक को अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं। जेनेरिक दवाइयों का नाम उसमें उपस्थित सक्रिय यौगिक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति निर्धारित करती है। किसी भी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है।
जेनेरिक दवाओं की फायदे
जैनरिक दवाईयां ब्राण्डेड दवाईयों की तुलना में औसतन पाँच गुना सस्ती होती है। जैनरिक दवाईयों की उपलब्धता आम व्यक्ति को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में बहुत बड़ा योगदान प्रदान कर सकती है तथा इससे ब्राण्डेड कम्पनियों का दवा उद्योग में एकाधिकार को चुनौती मिलेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जैनरिक दवाईयों के लिखे जाने पर केवल धनी देशों में चिकित्सा व्यय पर 70 प्रतिशत तक कमी आ जायेगी तथा गरीब देशों के चिकित्सा व्यय में यह कमी और भी ज्यादा होगी।
➡जेनेरिक दवाएं उत्पादक से सीधे रिटेलर तक पहुंचती हैं। इन दवाओं के प्रचार-प्रसार पर कंपनियों को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। एक ही कंपनी की पेटेंट और जेनेरिक दवाओं के मूल्य में काफी अंतर होता है। चूंकि जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है, अत: वे सस्ती होती हैं, जबकि पेटेंट दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं, इसलिए वे महंगी होती हैं।
➡उदाहरण के लिए यदि चिकित्सक ने रक्त कैंसर के किसी रोगी के लिए ‘ग्लाईकेव‘ ब्राण्ड की दवा लिखी है तो महीने भर के कोर्स की कीमत 1,14,400 रूपये होगी, जबकि उसी दवा के दूसरे ब्राण्ड ‘वीनेट‘ की महीने भर के कोर्स की कीमत अपेक्षाकृत काफी कम 11,400 रूपये होगी। सिप्ला इस दवा के समकक्ष जैनरिक दवा ‘इमीटिब‘ 8,000 रूपये में और ग्लेनमार्क केवल 5,720जेनेरिक दवाओं का उपयोग करने के क्या फायदे हैं
➡सबसे बड़ा फायदा कीमत है ब्रांड-नाम वाली दवाओं की लागत से 90 प्रतिशत बचा सकते हैं जेनरिक ब्रांड-नाम वाली दवाओं से औसत 40 से 60 प्रतिशत कम है।
➡ यह एक निश्चित आय पर पुराने वयस्कों जो कई दवाएं लेता है के लिए एक वास्तविक लाभ है अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से पूछें कि यदि आपके जेनेरिक दवाओं का उपयोग संभव है।
➡जब भी संभव हो, जेनेरिक दवाओं का उपयोग करके, आप अपनी दवाओं के दाम कम कर सकते हैं। आपको एक ही ताकत, खुराक और गुणवत्ता भी मिल जाता है।
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➡ यह एक निश्चित आय पर पुराने वयस्कों जो कई दवाएं लेता है के लिए एक वास्तविक लाभ है अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से पूछें कि यदि आपके जेनेरिक दवाओं का उपयोग संभव है।
➡जब भी संभव हो, जेनेरिक दवाओं का उपयोग करके, आप अपनी दवाओं के दाम कम कर सकते हैं। आपको एक ही ताकत, खुराक और गुणवत्ता भी मिलेगी।
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सीटीजेड,
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मेरिसुलाइड,
ओमेसेक-20,
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बूपीवेक्सीन,
एसीटिल सालिसाइकिल एसिड डिक्लोफेनेक,
इबूप्रोफेन,
परासीटामोल,
क्लोरोक्वीन,
एमलोडिपिन,
एटीनोलेल,
लोजारटन,
मेटफोरमिन,
प्रोगेस्टीरोन
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जेनेरिक दवाएं एवम ब्रांड दवाओं में क्या अंतर है??
➡ प्रिलोसेक ने दवा बेचने के लिए विशेष अधिकारों का स्वामित्व किया क्योंकि उन्होंने इसे बनाया और पेटेंट किया था एक बार उनकी पेटेंट समाप्त हो जाने के बाद, अन्य निर्माता प्रिलोसेक बना और बेच सकते हैं उन्हें सिर्फ सामान्य नाम ओपेराज़ोल से करना पड़ता है।
➡ इसके अलावा, यह उत्पाद रंग, आकृति, या चिह्नों में थोड़ा भिन्न हो सकता है सबसे बड़ा अंतर लागत है जेनेरिक दवाएं आम तौर पर कम खर्चीली होती हैं
जेनेरिक दवाओं का निर्माण कौन करता है??
➡जेनेरिक दवाएं अक्सर उन कंपनियों द्वारा निर्मित होती हैं जो ब्रांड नाम वाली दवाएं भी बनाती हैं।
➡एफडीए सभी दवा निर्माताओं और यू.एस. में बिकने वाली सभी दवाओं का विनियमन और निरीक्षण करता है।
➡ वे उन्हें सुधार करने के लिए फिर से भेज देंगे। वे एक ही मानक के लिए जेनेरिक दवाओं की जांच करते हैं।
प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना क्या है??
➡प्रधानमंत्री जन औषधि योजना भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को घोषित एक योजना है। इस योजना में सरकार द्वारा उच्च गुणमवत्ता वाली जैनरिक (Generic) दवाईयों के दाम बाजार मूल्य से कम किए जा रहें है। सरकार द्वारा 'जन औषधि स्टोर' बनाए गए हैं, जहां जेनरिक दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही है।
➡जेनरिक दवाईयां ब्रांडेड या फार्मा की दवाईयों के मुकाबले सस्ती होती है, जबकि प्रभावशाली उनके बराबर ही होती है। प्रधानमंत्री जन औषधि अभियान मूलत: जनता को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया हैं ताकि जनता समझ सके कि ब्रांडेड मेडिसिन की तुलना में जेनेरिक मेडिसिन कम मूल्य पर उपलब्ध हैं साथ ही इसकी क्वालिटी में किसी तरह की कमी नहीं हैं। साथ ही यह जेनेरिक दवायें मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता हैं।
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